आइसा के बैनर तले एनटीए के खिलाफ संसद मार्च और विरोध प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का तत्काल इस्तीफा और एनटीए को भंग करने की मांग की, कई सांसद समेत बुद्धजीवीयों और छात्र नेताओं का संबोधन

 

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो) ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) द्वारा आज नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के खिलाफ एक संसद मार्च और प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने नीट, नेट समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हाल ही में हुए भ्रष्टाचार के लिए केंद्र की एनडीए सरकार से जवाबदेही की मांग की गई

इस मौके पर प्रदर्शनकारी अपने हाथों में विरोध नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे और एनडीए सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, प्रदर्शन करियों का कहना था कि हर साल राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में संस्थागत भ्रष्टाचार के कारण लाखों छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है , उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफा और एनटीए को भंग करने की मांग की।

विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर मोशमी बासु ने बताया कि एनटीए ने सरकारी संस्थानों से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया को गुप्त रूप से और पूरी तरह से अपने हाथ में ले लिया है।

उन्होंने कहा कि जगदीश कुमार (जेएनयू के पूर्व वीसी और वर्तमान यूजीसी अध्यक्ष) जब जेएनयू में वीसी थे, तो उन्होंने अकादमिक परिषद की बैठकों के माध्यम से अपने फैसले थोपे थे और एनटीए के साथ-साथ जेएनयू की जबरन प्रतिबद्धता भी ऐसी ही एक संदिग्ध बैठक के मिनटों के माध्यम से सामने आई थी।

सांसद राजा राम सिंह ने एनटीए और भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में इसकी चिंताजनक भूमिका के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की और कहा की हम इस मामले को संसद में लगातार उठाते रहेंगे।

सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि वर्तमान सरकार जनविरोधी और छात्र विरोधी ताकत है और राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा आयोजित करने के लिए निजी एजेंसी गठित करने का निर्णय इस बात का प्रमाण है कि इसने उच्च शिक्षा व्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है।

जेएनयूएसयू के अध्यक्ष धनंजय ने जेएनयू का उदाहरण दिया और कहा कि जिस विश्वविद्यालय को अपने शैक्षणिक मामलों जैसे प्रवेश प्रक्रिया को चलाने के लिए स्वायत्तता दी जाती है वह सुचारू रूप से काम करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों की अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की स्वायत्तता नहीं छीन सकती। सरकारी विश्वविद्यालयों को जेएनयू के उदाहरण से सीखना चाहिए और अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षा की मांग के साथ-साथ एनटीए को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग करनी चाहिए।

एनटीए के खिलाफ इस लड़ाई में संकाय के समर्थन की घोषणा करते हुए प्रोफेसर उमा राग ने कहा कि हम, भारत में सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के शिक्षण संकाय, शिक्षा के केंद्रीकरण और व्यावसायीकरण के खिलाफ इस लड़ाई में अपना समर्थन प्रदान करते हैं। हम इस देश के छात्र और शिक्षक इस सरकार के नापाक इरादों को विफल होते देखेंगे।

वहीं आईएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष निलासिस बॉस और राष्ट्रीय सचिव प्रसनजीत कुमार ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आइसा सुलभ और सस्ती शिक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेगा। एक निजी एजेंसी के रूप में एनटीए ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार को संस्थागत बना दिया है। हम एनटीए को पूरी तरह से भंग करने और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के तत्काल इस्तीफे की मांग करते हैं। निर्दोष छात्रों के जीवन की कीमत पर निजी कोचिंग संस्थानों से दोस्ती सरकार के इस छात्र विरोधी व्यवहार का स्पष्ट उदाहरण है। राव आईएएस कोचिंग संस्थानों के कुप्रबंधन के कारण मरने वाले छात्रों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए और निजी कोचिंग माफिया की लूट पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।