डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री का व्यंग्यात्मक प्रदर्शन, प्रिंसिपल ऑफिस की दीवार पर लगाया गोबर
नई दिल्ली /नया भारत 24 ब्यूरो
दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में गाय के गोबर से दीवारें लीपने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कॉलेज की प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला के इस फैसले पर छात्रों, शिक्षकों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस विवाद के बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) के अध्यक्ष रौनक खत्री ने आज विरोध प्रदर्शन के तौर पर प्रिंसिपल ऑफिस की दीवार पर खुद गोबर लगा दिया।
क्या है मामला?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला खुद कक्षाओं की दीवारों पर मिट्टी और गोबर का लेप करती नजर आ रही हैं। वीडियो के साथ यह बताया गया कि यह कदम कॉलेज के ‘सी ब्लॉक’ में गर्मी से राहत के लिए एक देसी और पारंपरिक समाधान के रूप में उठाया गया है।
प्रिंसिपल का दावा है कि यह एक ‘शोधात्मक प्रयोग’ है, जिसका उद्देश्य कक्षाओं को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखना और अध्ययन माहौल को बेहतर बनाना है। उन्होंने यह भी बताया कि सी ब्लॉक की तीन कक्षाओं में यह काम पूरा हो चुका है और छात्र जल्द ही “एक नई अनुभूति” का अनुभव करेंगे।
छात्र संगठन का तीखा विरोध
डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री ने इस कदम को छात्र विरोधी बताते हुए तीखा विरोध जताया। उन्होंने कहा, “जब छात्रों को स्मार्ट क्लास, एसी और वाई-फाई जैसी आधुनिक सुविधाएं चाहिए, तब प्रिंसिपल उन्हें गोबर और मिट्टी की ओर धकेल रही हैं।”
प्रदर्शन के दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अब कॉलेज को एसी की जरूरत नहीं, गोबर की ठंडक ही काफी है।”
उन्होंने इसे न सिर्फ अवैज्ञानिक और अव्यावहारिक करार दिया, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी खतरनाक बताया।
प्रशासन की चुप्पी, सोशल मीडिया पर बहस जारी
कॉलेज प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, प्रिंसिपल ने यह कदम बिजली की कमी और एसी की अनुपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उठाया है और इसे ‘पर्यावरण मित्र और कम खर्चीला’ विकल्प बताया है।
उधर, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस जारी है। कई यूज़र्स ने इस पहल को “अवैज्ञानिक, अप्रासंगिक और छात्रों की गरिमा के खिलाफ” बताया है।
वीसी की तीखी प्रतिक्रिया
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने भी इस घटनाक्रम पर आश्चर्य जताते हुए टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “अगर प्रिंसिपल को ऐसा कोई प्रयोग करना ही था, तो पहले अपने घर पर करके देखतीं। हमें इस प्रयोग की कोई वैज्ञानिक नींव नज़र नहीं आती।”