वक्फ एक्ट में बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने एनडीए के सहयोगी दलों और अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों से पुरजोर अपील की कि वे ऐसे किसी भी प्रस्ताव और संशोधन को पूरी तरह से खारिज कर दें और इसे संसद से कभी पारित न होने दें।

Dr. Qasim Rasool Ilyas

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा की वक्फ एक्ट में बदलाव कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। बोर्ड की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना जरूरी समझता है।

वक्फ अधिनियम, 2013 में कोई भी बदलाव जो वक्फ संपत्तियों की प्रकृति को बदलता है या सरकार या किसी व्यक्ति के लिए इसे हड़पना आसान बनाता है, स्वीकार्य नहीं होगा , इसी तरह वक्फ बोर्डों की शक्तियों को कम करना या सीमित करना भी निश्चित रूप से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि पुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, भारत सरकार वक्फ अधिनियम, 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदलने का इरादा रखती है। ताकि इनपर कब्ज़ा करना आसान हो जाए ।

उन्होने कहा की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह का बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण समझता है कि वक्फ संपत्तियां धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए समर्पित मुस्लिम बुजुर्गों द्वारा दिया गया दान है – सरकार ने केवल उन्हें विनियमित करने के लिए वक्फ अधिनियम बनाया है।

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ अधिनियम और बंदोबस्ती संपत्तियां भारत के संविधान और शरिया एप्लिकेशन अधिनियम 1937 द्वारा संरक्षित हैं। इसलिए, भारत सरकार इस कानून में ऐसा कोई संशोधन नहीं कर सकती जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और स्थिति में बदलाव हो।उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों को लेकर जितने भी फैसले और कार्रवाई की है, उनमें उनसे कुछ छीना ही है, और कुछ दिया नही है, चाहे वह मौलाना आजाद फाउंडेशन को बंद करना हो या अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति या तीन तलाक को रद्द करना हो

उन्होंने कहा कि यह मामला मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा ,वक्फ संपत्तियों पर कुल्हाड़ी चलाने के बाद, यह आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ संपत्तियों और फिर हिंदुओ के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों का आ सकता है।

डॉ. इलियास ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम वक्फ अधिनियम में कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा जिससे इसकी स्थिति बदल जाएगी। इसी तरह, वक्फ बोर्डों की कानूनी और न्यायिक स्थिति और शक्तियों में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने एनडीए के सहयोगी दलों और अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों से पुरजोर अपील की कि वे ऐसे किसी भी प्रस्ताव और संशोधन को पूरी तरह से खारिज कर दें और इसे संसद से कभी पारित न होने दें।

डॉ. इलियास ने आगे कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के मुसलमानों और उनकी धार्मिक और राष्ट्रीय पार्टियों से अपील करता है कि वे केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा संभाले- बोर्ड भी कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से इस कदम को विफल करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।