लोहार बस्ती के लोगों ने पुनर्वास की मांग के लिए ड्यूसीब कार्यालय पर प्रदर्शन किया

प्रदर्शनकरियों ने कहा की ड्यूसीब हमारे साथ धोका कर रही है,लोगो को आवश्यक दस्तावेज होने के बाद भी अयोग्य घोषित किया जा रहा है,डीएमआरसी ने लोहार बस्ती में तोड़फोड़ की कार्यवाही का नोटिस लगाया।

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)दिल्ली के महरौली रोड पर स्थित लोहार बस्ती के लोगों ने सोमवार को ड्यूसीब कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर के पुनर्वास की मांग तथा न्याय की गुहार लगाने के लिए उचित समय की मांग की है।इस मौके पर मजदूर आवास संघर्ष समिति के कन्वेनर निर्मल गोराना ने बताया कि दिल्ली सरकार की ड्यूसीब की पॉलीसी के अनुसार लोहार बस्ती के परिवारों के पास दस्तावेज मौजूद होने के बावजूद भी अपीलेंट अथॉरिटी ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया और इधर डीएमआरसी ने दिनांक 15 जुलाई, 2024 को लोहार बस्ती में तोड़फोड़ की कार्यवाही का नोटिस लगा दिया और 15 दिन के भीतर बस्ती खाली करके जानें की नसीहत दे डाली। जबकि बस्ती के निवासियों के पास आवश्यक दस्तावेज है। अशिक्षा के कारण जिस दस्तावेज पर उनसे हस्ताक्षर लिया गया उन्हें पढ़कर तक नहीं सुनाया गया। अधिकतर लोग को न तो स्वीकृति आदेश मिला और न ही उनके पास कोई जानकारी है।

विरोध के साथ एकजुटता दिखाते हुए भारत की नौजवान सभा डीवाईएफआई दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अमन सैनी और डीवाईएफआई दक्षिण दिल्ली जिला संयोजक रिक्ता कृष्णास्वामी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों द्वारा बनाई गई मानव विरोधी बुलडोजर नीतियां दिल्ली के सबसे गरीब लोगों को आवास के मौलिक अधिकार से वंचित कर रही हैं। ये नीतियां गरीबी और बेघरता के चक्र को कायम रख रही हैं। कुछ लोगों के लिए स्मार्ट शहर बनाने में सरकार उस जनता को बेदखल कर रही है, जिनके श्रम ने इस शहर के निर्माण और इसे आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में योगदान दिया है।

आज ड्यूसीब के डायरेक्टर ने तो माना ही कर दिया की बस्ती के पुनर्वास से उनका कोई लेना देना ही नही है। जबकि डीएमआरसी का कहना है कि पुनर्वास का बजट ड्यूसीब को दे दिया गया। मजदूर परिवार डी नोटिफाई ट्राइब्स (डीएनटी) समुदाय एवं दलित समुदाय के हैं जो मूलतः राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं बिहार से है। 

नौजवान सभा की रिक्ता ने बताया कि किसी भी प्रकार की कोई भी लिस्ट डिसप्ले नही हुई जिससे जिन मजदूरों को अस्वीकृति आदेश या आबंटन पत्र न मिले वो लिस्ट से चेक कर सके।साथ ही ड्यूसीब और डीएमआरसी पुनर्वास की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहें है। अभी तक यह नहीं बताया गया कि कौन योग्य है और उसका पुनर्वास कहा या किस तरह होना है, फिर बेदखली कैसे की जा सकती है। आज मजदूरों के प्रदर्शन के बाद ड्यूसीब के अधिकारियों ने बताया की हमारे पास पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं ही। 

लोहार बस्ती निवासी हसीना ने बताया की ड्यूसीब मेरे साथ धोका कर रहीं है मेरे पास कागज है फिर मैं अयोग्य कैसे हू। मेरे जो आवश्यक दस्तावेज थे वो मेने ड्यूसीब को दिए फिर भी मुझे अपात्र बता दिया। 

सारिका ने बताया की हम इंसान है या कीड़े मकोड़े जो 15 दिन में घर बदल दे। इस बारिश में कोई किराए का घर नही दे रहा है और 15 दिन में घर ढूंढना हम गरीबों के लिए नामुमकिन है। 

दिनेश नामक मजदूर ने बताया की गरीब होने और अशिक्षा की वजह से कानून एवं स्कीम का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ड्यूसीब ने हमारी अशिक्षा का फायदा उठाकर हमे रिजेक्ट कर दिया जबकि 2015 के पहले के दस्तावेज हमारे पास है। हमने राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनो को वोट दिया किंतु दोनों ही हमारे पुनर्वास के मुद्दे पर साथ नही खड़ी है। 

एडवोकेट अली जिया कबीर कहते की प्रोटोकॉल के हिसाब से डीएमआरसी डिमोलिशन नोटिस नही दे सकती है। साथ ही दिल्ली सरकार की पॉलिसी के अनुसार पुनर्वास होना चाहिए और सभी एजेंसियों को पुनर्वास हेतु बस्ती के लोगो को मदद करनी चाहिए।

एडवोकेट सुमय्या खातून ने कहा कि जिन मजदूरों को अपीलेंट अथॉरिटी ने रिजेक्शन ऑर्डर दिए है है उन्हे उस ऑर्डर को हाई कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है तब तक डीएमआरसी को धैर्य रखना चाहिए ताकि सबके मानवाधिकारों को न कुचला जाए। 

निर्मल गोराना अग्नि ने कहा की केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियां बार बार दिल्ली में गरीब मजदूरों के घरों पर हमला कर रही है और पुनर्वास पर सब मौन है जिसका मजदूर आवास संघर्ष समिति पुरजोर विरोध करती है।