एसयूसीआई(कम्युनिस्ट) का विभिन्न मांगों को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय पर प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं पर बढ़ते अपराधों तथा बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने के खिलाफ आवाज उठाई , प्रतिनिधि मंडल ने उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)एसयूसीआई(कम्युनिस्ट) की पश्चिमी जिला कमेटी की तरफ से दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय पर महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं व बच्चों पर बढ़ते अपराधों, बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने, रहने की वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना झुग्गी-झोपड़ियों को उजाड़े जाने के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया।

प्रर्दशन में दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आई महिलाओं, छात्रें, नौजवानों और श्रमिकों ने हिस्सा लिया तथा सभी ने एक स्वर में उपरोक्त समस्याओं के खिलाफ आवाज बुलन्द की। प्रदर्शन के दौरान 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने उपराज्यपाल से मिलकर जापान सौंपा। प्रदर्शन के दौरान हुई सभा को एसयूसीआई(कम्युनिस्ट) की पश्चिमी जिला कमेटी के सचिव मैनेजर चौरसिया तथा अन्य सदस्यों ने संबोधित किया जिसमें प्रकाश देवी, रितु कौशिक, शारदा दीक्षित, आशा रानी, प्रेमपाल, सुरेश निषाद, निर्मल, राहुल सरकार, राकेश कुमार, मनीष कुमार, रिजवाना, कन्हैया लाल, प्रमोद कुमार, सुमन आदि शामिल थे।

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली की आम जनता खासकर मध्यमवर्गीय व गरीब जनता हर प्रकार की समस्याओं से जूझ रही है। दिल्ली के अधिकतर इलाकों में या तो पानी कई-कई दिनों तक आता ही नहीं है और अगर आता भी है तो पीने योग्य साफ पानी नहीं आता है। अनाधिकृत कॉलोनियों में, सीवर, रोड, बिजली जैसी मौलिक सुविधाओं की अनदेखी हो रही है। इसके आलावा एक तरफ मंहगाई और बेरोजगारी तथा दूसरी तरफ बिजली के स्मार्ट मीटर लगाए जाने के सरकार के फैसले से जनता के ऊपर और अधिक बोझ बढ़ेगा। बिहार, आसाम, गुजरात, जम्मु-कश्मीर में इस मीटर के लगने का जनता विरोध कर रही है क्योंकि इस मीटर के लगने से बिजली की आपूर्ति लगातार बाधित हो रही है और साथ ही बिजली का बिल भी ज्यादा आ रहा है।

इसके अलावा वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है जिस कारण से बड़ी संख्या में गरीब लोग यहां नौकरी करने आते हैं तथा वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहते हैं। इसलिए जहां जरुरत थी अधिक से अधिक सरकारी स्कूलों को खोले जाने की लेकिन सरकार क्लोजर और मर्जर की नीति के चलते सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है। जिसके कारण बच्चे पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

देश की राजधानी में हर रोज हो रही बलातकार और सामूहिक बलात्कार की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली में महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं,लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने की बजाय सरकार प्रचार माध्यमों द्वारा फैलाई जा रही अश्लीलता व नशाखोरी को बढ़ावा देने वाली नीतियां बना कर महिलाओं की स्थिति को और भी असुरक्षा के दायरे में धकेल रही है।

व्यक्ताओं मांग की कि दिल्ली की सभी अनाधिकृत कॉलोनियों को जल्द अधिकृत किया जाए , सभी घरों में पीने योग्य साफ पानी की नियमित सप्लाई सुनिश्चित की जाय ,बिजली की कीमतों में की गई बढ़ोतरी तथा सभी तरह के सरचार्ज को खत्म किया जाए और स्मार्ट मीटर पर प्रतिबन्ध लगाया जाए , क्लोजर-मर्जर के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद करने की नीति को खत्म किया जाए ,सुविधाओं से लैस नए सरकारी अस्पतालों का निर्माण किया जाय , अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर और अन्य स्टाफों की भर्ती की जाए , महिलाओं, बच्चियों पर बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के कारगर कदम उठाए जाएं , दिल्ली में पूर्ण शराबबंदी की जाए , राशन वितरण प्रणाली (पी-डी-एस-) को मजबुत किया जाए , बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के झुग्गी बस्तियों को उजाड़ना बंद किया जाए।