विभिन्न मांगों को लेकर जेएनयू छात्र संघ ने विश्वविद्यालय परिसर में मार्च निकाला

पुलिस ने विश्वविद्यालय को छावनी में बदल दिया, शिक्षा मंत्रालय की ओर मार्च कर रहे छात्रों को हिरासत में लिया गया, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बल प्रयोग करने का आरोप लगाया, कहा:छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, मांगें पूरी होने तक लड़ाई जारी रखने का ऐलान

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ की 12 दिनों की भूख हड़ताल के सिलसले में छात्र संघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में आज छात्रों ने शिक्षा मंत्रालय तक मार्च निकालने का नारा दिया था, जिसके अनुसार, सैकड़ों छात्र जेएनयू परिसर में एकत्र हुए और मार्च करना शुरू कर दिया, हालांकि, परिसर में तैनात पुलिस अधिकारियों ने लगभग 200 मीटर तक मार्च करने के बाद छात्रों को रोक दिया और विरोध करने वाले छात्रों को हिरासत में ले लिया।प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया।

प्रदर्शनकारी छात्र ब्रेकिड पर चढ़ कर प्रदर्शन करते हुए

बता दें कि जेएनयूएसयू की ओर से कहा गया है कि भूख हड़ताल के 12वें दिन रेक्टर ने यूनियन की मांगों पर चर्चा के लिए यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाया है और इस बात पर सहमति बनी है कि प्रशासन शाम तक लिखित जवाब के साथ भूख हड़ताल स्थल का दौरा करे , छात्र संघ ने कहा कि हम नतीजों की समीक्षा करने के बाद ही भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला करेंगे।

इस मार्च में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय, उपाध्यक्ष अविजीत घोष, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष, एसएफआई के सचिव सागर, कामरेड गौरव, प्राची, श्रेय, बिपिन, निवास, सुरुचि समेत आइसा और एसएफआई के अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।

पुलिस एक छात्र को हिरासत में लेते हुए

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया और कहा कि पुलिसकर्मियों ने छात्राओं को हिरासत में लेने की कोशिश में उनके कुछ कपड़े भी फाड़ दिए, जो एक असहनीय कृत्य है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि यह सब कुलपति की निगरानी में हो रहा है और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

पुलिस कि कार्रवाई से छात्राएं सहमी हुई

छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र विभिन्न मांगों को लेकर अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करते हुए 12 दिनों से हड़ताल पर हैं, लेकिन इस बीच कुलपति ने छात्रों को कोई मदद नहीं की।और जब आज हमने अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्रालय तक मार्च निकालना चाहा तो कुलपति ने पुलिस को हथियार बना कर छात्रों को रोकने की कोशिश की।

जेएनयू परिसर छावनी में तब्दील

छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय ने कहा कि हम जायज मांगों को लेकर 12 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, हम यह लड़ाई सिर्फ जेएनयू के लिए नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने इस लड़ाई को मांगें स्वीकृत होने तक जारी रखने का फैसला किया है।

छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि हमें हिरासत में लिया गया क्योंकि हम जायज मांगों के लिए मार्च कर रहे थे, जो पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ है।

अविजीत घोष ने कहा कि दिल्ली पुलिस के लिए आम छात्रों पर असाधारण कार्रवाई करना सामान्य हो गया है, जिसकी हम निंदा करते हैं।

आइसा और एसएफआई ने एक संयुक्त बयान जारी कर दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर हिंसा और उत्पीड़न की कड़ी निंदा की और मामले में तत्काल जवाबदेही की मांग की। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपने छात्रों की जायज मांगों को पूरा करने का आग्रह किया

बता दें कि 11 अगस्त को विभिन्न मांगों को लेकर 16 छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें बराक हॉस्टल खोलने की मांग छात्र संघ की प्रमुख मांगों में सबसे ऊपर है जिसका फरवरी में उद्घाटन किया गया था लेकिन तब से इसे बंद कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य मांगों में मेरिट, कम, मेन्स (एमसीएम) छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाना और जीएस कैश स्कीम को बहाल करना, चीफ प्रॉक्टर कार्यालय मैनुअल की वापसी की मांग शामिल है। जिसे पिछले साल अधिसूचित किया गया था, जो परिसर के प्रतिबंधित क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाता है।