विभिन्न मांगों को लेकर जेएनयू में छात्रों की हड़ताल जारी

छात्रों ने गोमती गेस्ट हाउस के निजीकरण का विरोध किया , कहा कि गोमती गेस्ट हाउस के निजीकरण के खिलाफ खड़े हों और धन की कमी की जेएनयू प्रशासन की रूढ़िवादी कहानी को खारिज करें।

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो) जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पिछले 8 दिनों से विभिन्न मांगों को लेकर छात्रों की हड़ताल जारी है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित ने धन जुटाने के लिए गोमती गेस्ट हाउस को बेचने की योजना बनाई है।

वर्तमान गोमती गेस्ट हाउस उस इमारत में स्थित है जहां जेएनयू ने इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के साथ अपना संचालन शुरू किया था। विजिटिंग प्रोफेसरों और प्रतिनिधियों को अक्सर इस ऐतिहासिक इमारत में ठहराया जाता है। गोमती के बिकने के बाद जेएनयू को कनॉट प्लेस क्षेत्र में प्रतिनिधियों को ठहराने के लिए अधिक कीमत चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। लेकिन हमारी वीसी ने इस बारे में चुप रहना ही बेहतर समझा।

यह उसी पुराने निजीकरण गेम प्लान का हिस्सा है, जहां सरकारें संपत्तियों को एक साथ बेचने के बजाय टुकड़ों में बेचती हैं। इसके बाद वह व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जेएनयू के अन्य हिस्सों को किराए पर दे सकती है। छात्रों का कहना है कि अप्रैल 2024 में फिल्म कंपनी को जेएनयू में शूटिंग की इजाजत कैसे दे दी गई? इसके बाद, ऐड ब्लॉक पर विरोध प्रदर्शन को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए जेएनयू ने एक फ़िल्म कंपनी को विरोध दृश्य शूट करने की अनुमति दे दी।

हम छात्र समुदाय से अपील करते हैं कि वे गोमती गेस्ट हाउस के निजीकरण के खिलाफ खड़े हों और धन की कमी की इस रूढ़िवादी कहानी को खारिज करें, अगर सरकार उन अमीरों को करोड़ों रुपये की सब्सिडी दे सकती है जिनके पास देश की अधिकांश संपत्ति है। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए फंड कम करने का कोई अधिकार नहीं है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार ने बड़े कॉरपोरेट घरानों का 5.98 लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया है, यह रकम इतनी बड़ी है कि अगले 12 साल तक उच्च शिक्षा का बजट पूरा करने के लिए काफी है।

हैरानी की बात यह है कि मोदी सरकार ने इस साल उच्च शिक्षा का बजट 57,244 करोड़ रुपये से घटाकर 47,620 करोड़ रुपये करके 17 फीसदी की कटौती की है। प्रदर्शनकारियो ने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार कारपोरेट घरानों को 5.98 लाख करोड़ की सब्सिडी दे रही है तो वही शिक्षा बजट में कटौती कर रही है जिससे गरीब एवं वंचित छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो जायेंगे।

बता दें कि एक सप्ताह से जारी रहने वाली इस हड़ताल के तहत छात्रों की मुख्य मांगो में जेएनयू के बराक हॉस्टल को खोलने, मेरिटकम मेन्स (एमसीएम) छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि और जीएस कैश योजना को बहाल करने, चीफ प्रॉक्टर कार्यालय मैनुअल को वापस लेने की मांग शामिल हैं,जेएनयूएसयू का आरोप है कि तमाम मांगों को देखते हुए 12 अप्रैल को कुलपति को एक मांग पत्र सौंपा गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है ।