दिल्ली दंगों में फैजान की मौत पुलिस की आपराधिक लापरवाही को दर्शाती है: सीपीआई(एम)

सीपीआई(एम) दिल्ली राज्य कमेटी के सचिव के एम तिवारी ने कहा कि सीपीआई(एम) दिल्ली राज्य कमेटी मांग करती है कि 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान इस तरह के नफ़रत भरे अपराधों,हिरासत में हुई मौतों में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों सहित सभी शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

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ई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)सीपीआई (एम) दिल्ली राज्य कमेटी के सचिव केएम तिवारी ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान 23 वर्षीय फैजान की मौत की दिल्ली पुलिस की जांच को अधूरा बताते हुए खारिज कर दिया है । उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि “यह मामला मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के आरोपों को प्रस्तुत करता है, क्योंकि पुलिसकर्मियों की गैरकानूनी कार्रवाइयों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, यह कार्रवाई धार्मिक कट्टरता से प्रभावित और प्रेरित थीं और इसलिए यह नफ़रत भरे अपराध के बराबर होगा”।उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि जब फैजान को रात भर और अगले दिन देर तक ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में रखा गया था, तो उसके साथ क्या कुछ हुआ था, इस सवाल को “पुलिस ने दबा दिया है”। 

उच्च न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि जब फैजान को रातभर और अगले दिन तक ज्योति नगर थाने में रखा गया तो वहां उसके साथ क्या हुआ? इस सवाल को पुलिस ने दबा दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि हिरासत के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन यह भी एक तथ्य है कि पुलिस ने फैजान को उस समय पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया था जब उसे चिकित्सा और देखभाल की सख्त जरूरत थी।

केएम तिवारी ने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई आपराधिक लापरवाही को दर्शाती है. बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या की मौजूदगी में जो भड़काऊ भाषण दिया था, उससे सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. यह सब पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस की आपराधिक भूमिका को और उजागर करता है। वही दिल्ली पुलिस जो केंद्रीय गृह मंत्री के अधीन है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस जघन्य अपराध की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

केएम तिवारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस दंगों की निष्पक्ष जांच करने के बजाय यूएपीए के आरोप में निर्दोष लोगों को सालों तक जेल में रख रही है।सीपीआई(एम) दिल्ली राज्य कमेटी मांग करती है कि 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान इस तरह के नफ़रत भरे अपराधों,हिरासत में हुई मौतों में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों सहित सभी शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कल दिल्ली हाई कोर्ट ने फैजान की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया है. बता दें कि फैजान की मां किस्मतून खातून ने अपने बेटे की मौत की जांच एसआईटी से कराने का अनुरोध किया था, जिसे न्यायमूर्ति अनुप राम भम्बानी द्वारा स्वीकार कर लिया गया ।