करोल बाग के तिब्बिया कॉलेज में हकीम अजमल खान नेशनल संग्रहालय बनाया जाए

ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस ने हकीम अजमल खान की जयंती के अवसर पर कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ‘विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया

नई दिल्ल(नया भारत 24 डेस्क)मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान की जयंती के अवसर पर 2011 से हर साल 12 फरवरी को ‘विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस परंपरा को जीवित रखते हुए ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के तत्वावधान में नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक समारोह आयोजित किया गया।प्रोफेसर मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में, अतिथियों ने के हाथों यादगार मुजल्ला विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान हयात ओं खिदमात का विमोचन के आलावा हकीम सैयद खलीफतुल्लाह अवार्ड से देश भर के हकीमो को नवाज़ा गया.तथा वक्ताओं ने युनानी के मुद्दों पर बात की।इस मौके पर महाराष्ट्र के लातूर लोकसभा क्षेत्र से सांसद शिवाजी राव कालगे और मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद रुचि वीरा विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।डॉ. सैयद फारूक, प्रोफेसर मुहम्मद इदरीस, प्रोफेसर एम.ए. जाफरी, प्रोफेसर मुहम्मद मजाहिर आलम, डॉ. रघुवीर सिंह और प्रोफेसर सैयद मुहम्मद आरिफ जैदी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि हम भारत में यूनानी चिकित्सा के संबंध में मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान को अपना आदर्श मानते हुए ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस कि तहरीक को आगे बढ़ा रहे हैं।उन्होंने ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के महासचिव सहित सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों को बधाई दी और कहा कि इस संगठन ने अब तक जो भी तहरीके चलाई हैं, वे हम सब की ईमानदारी और एक जुट होकर काम करने के कारण सफल हुई हैं। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय की स्थापना करके हम पर उपकार किया और यूनानी चिकित्सा को अन्य देशी दवाओं के साथ-साथ उसका उचित अधिकार दिया, लेकिन अधिकारी अक्सर संकीर्ण सोच और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं, जिसके कारण यूनानी डॉक्टरों को सरकारी नौकरियों में नियुक्त नहीं हो पाती।ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के महासचिव डॉ. सैयद अहमद खान ने अपने भाषण में विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस मनाने के उद्देश्य तथा तिब्बी कांग्रेस की महत्वाकांक्षाओं, लक्ष्यों और उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो हमारे भाग्य में है, वह हमारे साथ ही रहेगा, इसलिए हमें स्वार्थवश कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि विनम्रता के साथ अपनी समस्याओं और मांगों को सरकार के समक्ष रखना चाहिए। लोगों का कहना है कि तिब्बी कांग्रेस हमेशा सरकार का विरोध करती है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि सरकार को अपनी समस्याओं से अवगत कराना और उनका समाधान करने का अनुरोध करना विरोध नहीं है, लोकतंत्र में जनता की मांगों को पूरा करना सरकार का काम है और यह लोकतंत्र की अनिवार्य आवश्यकता है।हकीम एसपी भटनागर ने कहा कि विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस के सफल आयोजन के लिए मैं ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के पदाधिकारियों, विशेषकर डा सैयद अहमद खान को बधाई देता हूं, जो हकीम अजमल खान की जयंती पर 12 फरवरी को हर साल विश्व यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस का आयोजन पूरी लगन से करते हैं।उन्होंने आगे कहा कि जब भारत सरकार के आयुष विभाग ने 2010 में एक सामान्य चिकित्सा बैठक बुलाई थी, तो मैंने मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में इसका प्रतिनिधित्व किया था। हर साल 12 फरवरी को यूनानी चिकित्सा विज्ञान दिवस मनाने का निर्णय लिया गया और तिब्बी कांग्रेस ने पहली बार 2011 में इसकी शुरुआत की।डॉ. सैयद फारूक ने कहा कि पिछले 35 सालों में कोई नई एंटीबायोटिक विकसित नहीं हुई है।कोरोना ने साबित कर दिया है कि हर्बल एंटीबायोटिक आज भी सफल है। विश्व में 80% लोग अभी भी हर्बल दवाओं पर निर्भर हैं। डॉ. एसएम आरिफ जैदी ने कहा कि हकीम अजमल खान ने ऐसे समय में जब युनानी पेथी को कुचल दिया गया था, न केवल इसका परचम लहराया बल्कि करोल बाग में तिब्बिया कॉलेज की नींव रखकर बड़ा कारनामा अंजाम दिया।वह सिर्फ एक हकीम और चिकित्सक ही नहीं थे, बल्कि एक समाजवादी, स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी व्यक्ति भी थे।इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने दरियागंज में अनाथालय खोला तो उसका नाम अनाथालय नहीं बल्कि बच्चो का घर रखा। हकीम अजमल खान के परपोते मसरूर अहमद खान ने खानदाने शरीफी की सेवाओं पर प्रकाश डाला।जिन लोगों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया, उनमें डॉ एस.एम.हुसैन,ग़यासुद्दीन सिद्दीकी, डॉ। मिर्ज़ा आसिफ बेग, डॉ एहसन अहमद सिद्दीकी, डॉ फैज़ान अहमद सिद्दीकी, डॉ मुफ़्ती जावेद अनवर देहलवी, डॉ खुर्शीद अलम, डॉ शकील हपुड़ी, डॉ फहीम मलिक, डॉ दीन, हकीम उजैर बाकई, डॉ अब्दुल्ला खान राऊफ़, हकीम नईम रज़ा, हकीम मुहम्मद मुर्तजा देहलवी, हकीम आफ़ताब आलम, मुहम्मद नौशाद,ऐडवोकेट शाह जबीन कज़ी, डॉ नदीम आरिफ, मुहम्मद इमरान कन्नौजी.आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।कार्यक्रम के अंत में स्वीकृत प्रस्तावों में शामिल. (1) राष्ट्रीय यूनानी विश्वविद्यालय की स्थापना (2) राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग में यूनानी चिकित्सा के लिए एक अलग बोर्ड की स्थापना; (3) प्रत्येक प्रांत में स्थापित आयुष विभाग में यूनानी चिकित्सा के लिए एक तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति (4) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन/योजना में आयुर्वेद के समकक्ष यूनानी चिकित्सा की नियुक्ति। (4) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन/योजना में यूनानी चिकित्सा को आयुर्वेद के बराबर दर्जा दिया जाना चाहिए। (5) ए एंड यू तिब्बिया कॉलेज में हकीम अजमल खान राष्ट्रीय संग्रहालय और पुस्तकालय की स्थापना की जानी चाहिए, साथ ही यूनानी शफ़ा खाना स्थापित किया जाए (6) हर राजधानी में एक सीजीएचएस यूनानी अस्पताल की स्थापना की जानी चाहिए(7) आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी डॉक्टरों को भी रेलवे और सेना के अस्पतालों में नियुक्त किया जाना चाहिए।स्टेज का संचालन डॉ.खुबैब अहमद ने किया.तथा ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. शुजाउद्दीन ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।