नई दिल्ली।तालीम हासिल करना और कामयाबी हासिल करना दोनों अलग अलग चीज़ें हैं। कामयाबी हासिल करने के लिए मेहनत करना ज़रूरी होता है बिना मेहनत के बिना कुछ किए हाथ पर हाथ धरे बैठे इंसान कामयाब नहीं हो सकता इन खयालात का इज़हार वाइस चांसलर जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रोफ़ेसर मजहर आसिफ़ साहब ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के M.A अंसारी ऑडिटोरियम में आयोजित स्टुडेंट्स इंडक्शन एंड फेलिसिटेशन (students induction and felicitation program प्रोग्राम के मौके पर किया। उन्होंने कहा कि तालीम हासिल करने के बाद ज़रूरी है कि तालीम आदमी को एक अच्छा इंसान बना दे अगर हमारे अखलाक अच्छे नहीं हैं तो तालीम जो हमने हासिल की वो बेकार है। वायस चांसलर साहब ने मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर कोट करते हुए कहा कि “आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना”इस मौके पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सेंटर फॉर डिस्टैंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन के डायरेक्टर प्रोफेसर मुशाहिद आलम साहब ने ऑनलाइन एजुकेशन की तफसीली जानकारी फ़राहम की साथ ही इस अज़्म का इज़हार किया कि आने वाले वक़्त में मज़ीद कोर्सेस जामिया के CDOE सेंटर में मुतारिफ़ कराए जाएंगे।इस मौके पर रजिस्ट्रार जामिया प्रोफ़ेसर महताब आलम साहब भी मौजूद थे।CDOE की Astt प्रोफ़ेसर व B.Ed कोऑर्डिनेटर Dr बुशरा हुसैन ने जानकारी दी कि कोविड के वक़्त से जो एग्जाम थोड़े से डिले हुए थे उन सभी पर पूरी तरह कंट्रोल कर लिया गया है अब सभी चीजें एक सिस्टेमेटिक तरीक़े से आगे बढ़ रही हैं उन्होंने बताया कि आज की इस प्रोग्राम में 4 IAS 3 IRS 3 Media personalities और 3 एजुकेशन में अहम ओहदों पर पहुंचे लोगों को अवार्ड से नवाजा गया है।मास्टर अरशद चौधरी ने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर के इस क़दम में तारीफ़ करता हूँ और उनको खराज ए तहसीन पेश करता हूँ कि उन्होंने जामिया के डिस्टैंस के तालिब ए इल्म व यूनिवर्सिटी की बीच की दूरी को ना सिर्फ़ दूर करने का काम किया बल्कि जो स्टुडेंट्स ये समझते थे कि हम जामिया से दूर हैं उनके और यूनिवर्सिटी के बीच अब कोई गैप मौजूद नहीं रहा। मास्टर अरशद चौधरी ने खुद के अवार्ड मिलने पर खुशी का इज़हार करते हुए मज़ीद कहा कि अवार्ड से हौसला मिलता है और ये जिम्मेदारी भी बढ़ती है कि पहले से ज़्यादा ऊर्जा के साथ पहले से ज़्यादा कुव्वत के साथ अपने फ्राइज़ को अंजाम देना है। तालिमी सरगर्मियों को मज़ीद बढ़ाया जाएगा जिससे कि समाज को इससे फायदा पहुंच सके और समाज का हर फर्द मुल्क की तरक्की में अपना किरदार अदा कर सके। जामिया ने जो सम्मान दिया है पूरी दुनिया में वो हम सभी जामिया वालों के लिए बाईस ए फख्र है और हमारा ये फ़र्ज़ है कि हम जामिया की इस तहज़ीब की हिफाज़त उसी तरह करें जैसी कि जामिया को कायम करने वालों ने की है।
