एआईयूटीयूस के बैनर तले मजदूरों का एलजी कार्यालय पर विभिन्न मांगों के लिए प्रदर्शन

प्रदर्शनकारीयों की सभी को स्थाई रोजगार,ठेकेदारी प्रथा पर रोक और श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 26 हजार देने की मांग।

नई दिल्ली(नया भारत 24 डेस्क)आज ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के बैनर तले मजदूरों ने दिल्ली उप-राज्यपाल कार्यालय के समक्ष अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। कर्मगार एकता केन्द्र, दिल्ली आशा वर्कर्स, मिड डे मिल वर्कर्स नेशनल पब्लिक हेल्थ एसोसियेशन आदि संगठन के मजदूरों ने इसमें हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी मजदूरों की मांग थी कि सभी को स्थाई रोजगार दिया जाए ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगनी चाहिए। श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 26 हजार होना चाहिए। सैकड़ो मजदूरों ने इस प्रदर्शन में दिल्ली के कोने कोने से हिस्सा लिये।

धरने को संबोधित करते हुए उषा ठाकुर ने कहा कि स्कीम वर्कर्स, आंगनबाड़ी मिड डे मील वर्कर, आशा कर्मियों की लंबित मांग को लेकर हम यह प्रदर्शन कर रहे हैं। हर बार सरकार वादा करती है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं करती है। हम सरकार से कहना चाहते हैं कि हमारी जायज मांगों को माने और हमें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। कितनी हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार सबसे कम मानदेय दे रही है जबकि कुछ राज्यों में मानदेय की रकम ज्यादा है हम सब जानते हैं कि दिल्ली में जीवन यापन कर ना इस महगाई के दौर में कितना कठिन है।

कर्मगार एकता केन्द्र की ओर से अपनी बात रखते हुए भास्करानंद जी ने कहा कि आज एआईयूटीयूसी के बैनर तले दिल्ली में तमाम संगठित और असंगठित क्षेत्रों के विभिन्न यूनियनों ने कश्मीरी गेट से एलजी के निवास तक चलकर एक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में भवन निर्माण, कर्मकार, आशा वर्कर्स,मिड डे, एनपीएचए के बैनर पर दिल्ली के स्वास्थ्य कर्मचारी,रेलवे सहित कई संगठनों और यूनियनों ने हिस्सा लिया। सभी में सरकारों के खिलाफ बहुत नाराजगी थी। उन्होंने अपनी मांगो के प्रति जम कर नारेबाजी सरकारों से मांग की कि वे हमारी जायज मांगों पर ध्यान दे ओर संगठन से तुरंत बात करे।

हमारी मांग है की सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की PCA/HPCA R 1H2 के तहत 25% जोड़कर दिया जाय। सभी को इलाज के लिए कैश लेस सुविधा दी जाय। ट्रांसफर के लिए एक पारदर्शिता के साथ NPHA को शामिल कर पारदर्शी बनाई जाए।

खाली पड़ें पदों को अभिलंब भरा जाए। केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए सभी काले कानूनों को रद्द किया जाय जो कर्मचारियों के विरुद्ध है। जिसमें चार लेबर कोड यूनियन बनाने का अधिकार शामिल है। सभी आशाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा दो। ने कहा कि सरकार चार नए लेबर कोड लाकर श्रमिक अधिकारों को खत्म कर रही है। हम इसके खिलाफ लड़ रहे है क्योंकि एक समय श्रम कानून को लड़कर हासिल किया गया था। आज जो संस्थाओं को अपने चहेते पूंजीपति को कौड़ी दाम बेच रही है उसका निजीकरण और व्यापारिक कर रही है।

उन्होने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली सरकार श्रमिकों के भलाई के लिए जो भी योजनाएं हैं उसको लागू ठीक से नहीं कर रही है और जो भवन निर्माण मजदूर हैं उनके कल्याणकारी योजनाओं को भी सरकार ठीक से लागू नहीं कर रही है जैसी वजह से मजदूरों का जीना मुश्किल हो गया है।

धरने को संगठन के सचिव मैनेजर चोरसिया ने संबोधित करते हुए कहा कि मजदूर आंदोलन का उद्देश्य है इस पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष करना है। जब हम अपनी मांगों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो इसका मतलब सिर्फ यही है यह हमारी मांग सरकार माने लेकिन हमारी जितने भी मांग हो मान ली जाये इसके बावजूद भी हम इस मुनाफे पर आधारित व्यवस्था को खत्म कर कर जब तक नई व्यवस्था कायम नहीं करेंगे तब तक हमारी मुक्ति नहीं होगी। धरने की अध्यक्षता एआईयूटीयूसी के अध्यक्ष कॉमरेड एस एस नेगी ने की उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे संगठन का ऑल इंडिया कांफ्रेस भुवनेश्वर में 15 से 17 दिसंबर को होने जा रहा है जिसमें हम मजदूरों के आगामी आंदोलन की रुपरेखा तैयार करेंगे और पूजीवाद विरोधी समाजवादी क्रांति के तैयारी में आगे कदम बढ़ाएंगे और मजदूरों को एकत्रित करते हुए संयुक्त आंदोलन निर्मित करेंगे। धरने को निर्मल कुमार, महफूज, सत्यवती, मिलन देवी, प्रकाश देवी, सरोज, विक्रम, विपत्तिराम, सुधीर, सतीश पवार, अमर रावत, संगठन के उपाध्यक्ष कॉमरेड भरतवीर जीने धरने का संचालन किया।

मजदूरों ने जोरदार नारे लगाए और ज्ञापन देने के लिए कॉमरेड भास्करानंद के नेतृत्व में 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मांग पत्र लेकर राज्यपाल के कार्यालय पर गया व ज्ञापन सौंपा।