उत्पीड़ितों की आवाज उठाने वाले मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करना चिंताजनक

सामाजिक, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और उत्पीड़न की निंदा की और दिल्ली पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस सरकार की कठपुतली बन गई है

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित वकीलों ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन फॉर सिविल राइट्स (एपीसीआर) के महासचिव और मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान को उत्पीड़न करने की कड़ी आलोचना की है और पुलिस को सरकार की कठपुतली बताया है।

नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े, वकील प्रशांत भूषण, सांसद प्रो. मनोज झा, योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉ. सैयदा सैयदीन हमीद, वकील निज़ाम पाशा और पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बात की जबकि संचालन सामाजिक कार्यकर्ता फराह नकवी ने किया।

इस मौके पर फराह नकवी ने जानकारी देते हुए कहा कि नदीम खान के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर निराधार है, उन पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है, नदीम खान ने एक डॉक्यूमेंट्री वीडियो तैयार किया है जिस में एक प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया है हाल के दिनों में जिनके घरों पर बुलडोजर चला है और जो भीड़ की हिंसा का शिकार हुए हैं, क्या उन मजलूमों का दर्द दिखाना नफरत फैलाना है? हाल ही में एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने देश के मौजूदा हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की थी ,जब एक बड़ा वकील देश के हालात पर आंसू बहाता है तो देश की सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

वकील संजय हेगड़े ने कहा कि नदीम खान मजलूमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, देश में जहां भी दंगे, बुलडोजर कार्रवाई, भीड़ हिंसा होती है, वहां पहुंचते हैं, इसी प्रेस क्लब में कई बार फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी करके सच को सामने लाए है,सरकार उन्हें मजलूमों के साथ खड़े होने की सजा देना चाहती है, लेकिन सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि देश की जनता इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेगी,देश के निष्पक्ष नागरिक इसका विरोध करेंगे और कोर्ट तक लड़ेंगे और जीतेंगे।

वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस समय देश में क्या चल रहा है, ये हम सभी जानते हैं, कई राज्यों में दंगे हो रहे हैं, याचिकाएं दायर की जा रही हैं, जिसमें कहा गया है कि इस मस्जिद के नीचे मंदिर है, इसकी जांच होनी चाहिए. बीजेपी शासित राज्यों में भीड़ हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय इन घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर कार्रवाई कर रही है और नदीम खान इसका ताजा उदाहरण हैं हालाँकि उपरोक्त एफआईआर में उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है , फिर भी चार घंटे के बेहद कम समय में दिल्ली से बेंगलुरु पहुंचने पर उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया। इससे पता चलता है कि इसके पीछे सरकार की मंशा क्या है और दिल्ली पुलिस भाजपा सरकार की कठपुतली बन गई है।

प्रशांत भूषण ने मांग की कि नदीम खान के खिलाफ तुच्छ एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए तभी ये रुक सकता है, नहीं तो आज नदीम खान कल कोई और होगा।

सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने भी इस बात पर जोर दिया कि नदीम खान के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर बेबुनियाद है जो तथ्यों के विपरीत है. उन्होंने इस पर अफसोस जताया और कहा कि यह देश पहले ऐसा नहीं था. पहले झगड़े और दंगे होते थे, लेकिन सुलह होती थी, लेकिन आज सुलह का रास्ता नफरत ने बंद कर दिया है, जो दुखद है।

डॉ. सैयदा सैयदीन हमीद ने कहा कि आज देश में हालात इतने भयावह हो गए हैं, मैं हमेशा खुद को एक भारतीय के रूप में देखती थी, लेकिन आज मैं खुद को एक मुसलमान के रूप में देखती हूं, आज यहां सांसें थम जाती हैं, लेकिन आप जैसे लोगों ने हमें सांस लेने का साहस दिया। उन्होंने कहा कि हम नदीम खान के साथ खड़े हैं, हमें उस ताकत के खिलाफ तूफान बनकर खड़ा होना है जो उन्हें कमजोर करने के लिए उठ रही है।

वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने नदीम खान को गिरफ्तार करने में इतनी तत्परता दिखाई कि 30 नवंबर को दोपहर 12:48 बजे एफआईआर दर्ज की गई और 30 नवंबर को शाम 5 बजे उन के भाई के घर नदीम खान को गिरफ्तार करने के लिए बेंगलुरु पहुंच गई । हालांकि न्यायपालिका ने नदीम खान को शुक्रवार तक सुरक्षा दी और कहा कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।