एसटीएफआई के बैनर तले विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षकों का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त पेंशन योजना, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध किया, वक्ता के रूप में सांसद शिवदासन, राजा राम सिंह और सुदामा प्रसाद ने शिक्षकों के मुद्दों को संसद में उठाने का आश्वासन दिया।

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो) स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसटीएफआई) के बैनर तले आज देशभर के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को रद्द करने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया ।इस दौरान शिक्षकों ने पेंशन के नाम पर लागू की गई एनईपी 2020 सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, एनपीएस, जीपीएस, यूपीएस, पीएफआरडीए को रद्द करना, पुरानी पेंशन योजना को लागू करना, सभी अस्थायी, तदर्थ, अनुबंध शिक्षकों और कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करना, सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की रिक्तियों को नियमित आधार पर भरना, 12वीं कक्षा तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का दायरा बढ़ाना, देश भर में नए स्कूलों की स्थापना, स्कूलों के विलय और बंद होने को रोकना और प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के लिए एमएलसी चुनाव में वोट देने का अधिकार देने समेत कई मांगें की गईं।

इस प्रदर्शन में देश के विभिन्न राज्यों से सैकड़ों शिक्षकों ने हिस्सा लिया और अपना गुस्सा जाहिर किया।इस मौके पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सांसद शिवदासन ने कहा कि जनता का नारा है ‘सबको शिक्षा, सबको काम’ लेकिन सरकार इसे नहीं मानती. उन्होंने मिड डे मील कर्मियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार पोषण कर्मियों को मात्र 120 रुपये मासिक वेतन दे रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि 1200 रुपये प्रति माह पर कोई कैसे गुजारा कर सकता है? इस सरकार ने मध्याह्न भोजन के लिए आवंटित बजट कम कर दिया, यह सरकार बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति 2020 देश के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट के लिए है, इसका उद्देश्य शिक्षा को नष्ट करना और कॉरपोरेटीकरण करना है, शिक्षा का बजट कम किया जा रहा है ।

उन्होंने शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील की, उन्होंने आश्वासन दिया कि हम इस संघर्ष में साथ रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे को संसद में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।

एसएफआई महासचिव मयूख विश्वास ने कहा कि शिक्षा बचाने के लिए छात्र समुदाय भी शिक्षकों के आंदोलन के साथ है. उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सरकार पाठ्यक्रम से कबीर और रवींद्रनाथ टैगोर को हटाकर पाठ्यक्रम को सांप्रदायिक बना रही है. उन्होंने कहा कि हम हक की लड़ाई मिलकर लड़ेंगे।

एसएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी सानू ने कहा कि शिक्षा नीति 2020 लागू होने के कारण देश में हजारों स्कूल बंद हो गये हैं. प्रत्येक 9 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है जबकि भारत में इसकी कोई सीमा नहीं है। देश में शिक्षकों के 10 लाख पद खाली हैं, इससे शिक्षा की स्थिति का पता चलता है।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि एआईएसजीईएफ पूरी तरह से एसटीएफआई के संघर्ष में उसके साथ है। उन्होंने सरकार की साजिशों का पर्दाफाश करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना के खिलाफ बढ़ते संघर्ष को बेअसर करने के लिए केंद्र सरकार ने संयुक्त पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है. अफसोस की बात है कि कुछ कर्मचारी नेता यूपीएस का समर्थन कर रहे हैं लेकिन देश का कर्मचारी यूपीएस को स्वीकार नहीं करेगा।

धरने को संबोधित करते हुए सांसद राजा राम सिंह और एसटीएफआई के सांसद सदामा प्रसाद ने संसद में मांगों को उठाया और संघर्ष में समर्थन का आश्वासन दिया।

विरोध प्रदर्शन को एसटीएफआई के उपाध्यक्ष तथा तमिलनाडु के शिक्षकों के लोकप्रिय नेता एस. माईल, तेलंगाना के विख्यात शिक्षक नेता तथा एसटीएफआई के उपाध्यक्ष रवि चावा, फैडरेशन के सचिव व हरियाणा के संघर्षशील शिक्षक नेता धर्मेन्द्र ढांडा, केरल स्कूल टीचर्स एसोसिएशन की महासचिव तथा एसटीएफआई सचिव बदरूनिशा, राष्ट्रीय सचिव तथा बिहार के वरिष्ठ शिक्षक नेता नगेन्द्र सिंह, बंगाल के शिक्षकों के जुझारू नेता तथा एसटीएफआई के उपाध्यक्ष मोहम्मद अलाउद्दीन, त्रिपुरा शिक्षक आंदोलन के योद्धा व राष्ट्रीय सचिव शैवाल रॉय, राजस्थान शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं एसटीएफआई के उपाध्यक्ष महावीर सिहाग, जम्मू कश्मीर यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के राज्याध्यक्ष प्रदीप जम्वाल, ऑल इंडिया फॉर्म फोर राईट टू एज्युकेशन की मधु प्रसाद तथा जॉइंट फॉर्म फोर मूवमेंट ऑन एज्युकेशन की सभापति नंदिता नारायण ने संबोधित किया।