बाबरपूर जिले में कांग्रेस सबसे मजबूत थी, क्या पूर्व विधायक चौधरी मतीन अहमद के परिवार के अचानक कांग्रेस छोड़ने के फैसले से पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा?
नई दिल्ली(नया भारत 24 डेस्क) दिल्ली कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा जब कांग्रेस के पूर्व विधायक और कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद के राजनीतिक उत्तराधिकारी चौधरी जुबैर अहमद अपनी पत्नी पार्षद शगुफ्ता चौधरी के साथ आम आदमी पार्टी ‘आप’ में शामिल हो गए। ज्ञात हो कि जुबैर अहमद बाबरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे जहां कांग्रेस सबसे मजबूत स्थिति में थी। निगम चुनाव 2022 में चौधरी जुबैर अहमद के नेतृत्व में कांग्रेस ने बाबरपुर जिले में अच्छा प्रदर्शन किया था । इससे पहले फरवरी 2021 में चौहान बांगर निगम के उपचुनाव में चौधरी जुबैर अहमद ने पूर्व विधायक हाजी इशराक खान को हराकर कांग्रेस का परचम बुलंद किया था।
बता दें कि इन दोनों चुनावों में चौधरी जुबैर अहमद समेत कांग्रेस नेताओं ने निज़ामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज पर ताला लगाने के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तमाम आप नेताओं पर हमला बोला था और लोगों से कांग्रेस के पक्ष में वोट करने की अपील की थी. मरकज के मामले पर ‘आप’ से लोगों की नाराजगी के कारण लोगों ने कांग्रेस को भारी वोट देकर चौधरी जुबैर अहमद को कामयाब बनाया, लेकिन आज वे खुद ‘आप’ में शामिल हो गए।
याद रहे कि निगम चुनाव 2022 के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता हसन अहमद अपने बेटे अली मेहदी और कांग्रेस पार्षदों के साथ ‘आप’ में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्हें जनता के भारी गुस्से का सामना करना पड़ा और महज 8 घंटे बाद ही सभी फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी जुबैर अहमद का कांग्रेस छोड़कर ‘आप’ में शामिल होना निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए मुसीबत साबित हो सकता है और बाबरपुर जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए यह फैसला कड़वा घूंट पीने जैसा है.जहां वे कई वर्षों से पार्टी को मजबूत करने के लिए चौधरी जुबैर अहमद के साथ खड़े थे और इन कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि इस बार बाबरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी, लेकिन चौधरी मतीन अहमद अभी भी कांग्रेस में हैं और राजनीतिक गलियारों में यह भी अफवाह थी कि वह ‘आप’ में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अब इस पर खुद चौधरी मतीन अहमद ने विराम लगते हुए कहा है कि वे कांग्रेस में है रहेंगे।
इस बीच सवाल यह है कि चौधरी मतीन अहमद के परिवार के अचानक कांग्रेस छोड़ने के फैसले से कांग्रेस की प्रतिष्ठा को कितना नुकसान होगा?और इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आप में चौधरी जुबैर अहमद को सीलमपुर से टिकट देने का आश्वासन देते हुए पार्टी में शामिल किया है, वहीं उनके पिता चौधरी मतीन अहमद सीलमपुर से कांग्रेस के टिकट के दावेदार हैं ,क्या एक ही सीट पर एक ही परिवार के दो लोग चुनाव लड़ेंगे या चौधरी मतीन अहमद इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे अगर वह चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे तो सीलमपुर से कांग्रेस कौन सा नया उम्मीदवार उतारेगी? इस बारे में चौधरी मतीन अहमद का कहना है कि वो कांग्रेस में ही रहेंगे और विधानसभा सभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ेंगे, हालांकि सीलमपुर का राजनीतिक ड्रामा कहां जाकर खत्म होगा ये समय तय करेगा।
दूसरी ओर सीलमपुर से मौजूदा ‘आप’ विधायक अब्दुल रहमान चौधरी जुबैर अहमद के ‘आप’ में शामिल होने पर सख्त रोष जता रहे हैं, उन्होंने “आप” के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है , राजनीति गलियारों में यह भी अफवाह है कि अब्दुल रहमान ‘आप’ छोड़कर किसी और राजनीतिक पार्टी में शामिल हो सकते हैं और वह पार्टी कांग्रेस या मजलिस भी हो सकती है।