बैठक को संबोधित करते हुए प्रोफेसर तौकीर अहमद ने कहा कि दिल्ली में उर्दू को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है मगर उसे वह मान सम्मान नहीं दिया गया है जिसकी वह हकदार है।
नई दिल्ली(नया भारत 24 डेस्क)उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन की एक महत्वपूर्ण बैठक दरियागंज स्थित कार्यालय में दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर तौकीर अहमद की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में दिल्ली में उर्दू माध्यम स्कूलों के ताजा हालात पर चर्चा की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रोफेसर तौकीर अहमद ने कहा कि दिल्ली में उर्दू को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है मगर उसे वह मान सम्मान नहीं दिया गया है जिसकी वह हकदार है। दिल्ली में उर्दू माध्यम स्कूलों को बंद करने और उर्दू स्कूलों में एक विषय के तौर पर पढ़ाए जाने की लंबे समय से साजिश की जा रही है। हाल ही में दिल्ली सरकार के एक मंत्री के जरिए भी उर्दू माध्यम स्कूलों को बंद कर उसके स्थान पर अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले जाने और वहां पर उर्दू एक विषय के तौर पर पढ़ाए जाने की वकालत करते हुए सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में उर्दू का और बुरा हाल हो जाएगा ।उन्होंने इस घोषणा की कड़े शब्दों में निंदा की है और उर्दू से संबंधित सभी व्यक्तियों, संस्थाओं आदि से इसका विरोध किए जाने की अपील की है।
बैठक में उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन के अध्यक्ष डॉ सैयद अहमद खान ने कहा कि उर्दू माध्यम स्कूलों को बंद करने का सबसे बुरा असर अगर किसी राज्य पर पड़ा है तो वह उत्तर प्रदेश है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में उर्दू खत्म होने के कगार पर है। अब यही हाल दिल्ली में उर्दू का करने की साजिश रची जा रही है जिसे हम किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
बैठक में उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइज़ेशन के महासचिव डा परवाज उल उलूम ने बताया कि दिल्ली के उर्दू माध्यम स्कूलों को बंद करने की अगर कोशिश की गई तो तह मामला अदालत में ले जाया जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले को मजबूती से लडा जाएगाः।पहले भी हम इस तरह की लडाई लड चुके हैं और जीत भी चुके हैं। बैठक में डा शकील अहमद, हकीम मुर्तजा देहलवी सहित बडी़ संख्या में लोगों ने भाग लिया।