एआईडीवाईओ के बैनर तले रेलवे की विभिन्न समस्याओं के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने हाथों में विरोध नारे लिखी तख्तियां लेकर विरोध दर्ज कराया और केंद्र सरकार पर रेलवे को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए विभिन्न मांगों पर आधारित एक ज्ञापन रेल मंत्री को सौंपा।

नई दिल्ली (नया भारत 24ब्यूरो) ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑर्गेनाइजेशन (एआईडीवाईओ) के बैनर तले रेलवे में लोगों को हो रही समस्याओं के खिलाफ नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर आज विरोध प्रदर्शन प्रदर्शन किया गया, जिसमें पूरी दिल्ली से लोग शामिल हुए।इस मौके पर प्रदर्शनकारी अपने हाथों में विरोध नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे और रेलवे को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार और रेल मंत्री के खिलाफ नारे लगा रहे थे।

दिल्ली प्रदेश सचिव मौसम कुमारी ने मंच का संचालन किया, प्रदेश उपाध्यक्ष रितु असवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया, और दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों ने भी अपने विचार रखे।

संगठन की उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत की वर्तमान सरकार रेलवे को बर्बाद करने पर तुली हुई है जो जनता के टैक्स के पैसे से बना था और सबसे बड़ा रोजगार देने वाला संस्थान था, आज वह निजीकरण और व्यावसायीकरण के जाल में फंस गया है, जहां वंदे भारत जैसी ट्रेनें चल रही हैं जो आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं

उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या के कारण लोगों को यात्रा करना मुश्किल हो रहा है। दिन-ब-दिन ट्रेन दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसके कारण लोग डर के माहौल में ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं।

रितु असवाल ने आगे कहा कि रेल दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी का मुख्य कारण रेलवे कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी आना है. कभी सबसे बड़ा नियोक्ता रहा रेलवे कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। कार्यरत रेल कर्मियों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा हो गया है. आज रेलवे में साढ़े तीन लाख से अधिक रिक्तियां खाली हैं। सवाल उठता है कि सरकार इन रिक्तियों को क्यों नहीं भर रही है?

उन्होंने कहा कि सरकार अधिक पैसा इकट्ठा करने के लिए द्वितीय श्रेणी स्लीपर और जनरल कोचों की संख्या कम कर रही है और उनके स्थान पर एसी कोचों की संख्या बढ़ा रही है, कोचों में इतनी भीड़ है कि लोग बाथरूम में बैठकर यात्रा कर रहे हैं। प्रीमियम सेवा के नाम पर एजेंट गरीबों को लूट रहे हैं।

प्रदर्शन के बाद संगठन के प्रतिनिधिमंडल द्वारा महीनों तक चले हस्ताक्षर अभियान के दौरान एकत्र किए गए हजारों हस्ताक्षर और ज्ञापन रेल भवन में रेल मंत्री को सौंपे गए, जिसमें मांग की गई कि भारतीय रेलवे के निजीकरण और व्यावसायीकरण को तुरंत रोका जाए और सेवाओं के विस्तार के अनुसार पर्याप्त संख्या में नौकरियाँ पैदा की जानी चाहिए। ट्रेनों में सामान्य और द्वितीय श्रेणी डिब्बों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। प्रवासी श्रमिकों के लिए पूरी तरह से अनारक्षित ट्रेनें शुरू की जाएं। वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें बहाल की जाएं। टिकटों पर कैंसिलेशन शुल्क खत्म किया जाए।