शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों और शिक्षकों का मंडी हाउस पर मार्च,पुलिस ने हिरासत में लिया

प्रदर्शनकारियो ने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई भारतीय संविधान पर हमला, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति , पेपर लीक, महंगी शिक्षा और शिक्षकों और छात्रों के खिलाफ अन्य नीतियों का विरोध।

नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो) शिक्षक दिवस के मौके पर विभिन्न छात्र और शिक्षक संगठनों ने गुरुवार को मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक ‘छात्र और शिक्षक एकता मार्च’ निकालने का नारा दिया था,जिसके तहत विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र और शिक्षकों ने मंडी हाउस पर इकट्ठा हुए जिन्होंने नई शिक्षा नीति, पेपर लीक, महंगी शिक्षा और अन्य शिक्षक और छात्र विरोधी नीतियों का विरोध किया।

इस विरोध के साथ जब प्रदर्शनकारियों ने जंतर मंतर की और मार्च निकाला तो पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी और उन्हें हिरासत में लिया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।

इस मार्च में शिक्षक संगठनों में एफआईडीसीयूटीए, एआईएफ यूसीटीओ और छात्र संगठनों में आइसा, केवाईएस समेत डीयू, जेएनयू जामिया, एयूडी छात्र और शिक्षक शामिल थे।हिरासत में लिए गए लोगों में जेएनयूटीए अध्यक्ष प्रोफेसर मौसमी बासु, पूर्व डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर नंदिता नारायण, प्रोफेसर राजिब रे, डीके लोब्याल और 30 अन्य शिक्षक और छात्र नेता शामिल थे।

कापसहेड़ा पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिए गए शिक्षक(NayaBharat24)

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा की आज हमने शिक्षक दिवस के मौके पर शांतिपूर्ण मार्च निकालने की घोषणा की थी, लेकिन पुलिस ने मार्च शुरू होने से पहले ही छात्रों और शिक्षकों को जबरन हिरासत में ले लिया।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि उन्होंने दूतावास परिसर में घुसने की कोशिश की, जब वे नहीं रुके तो प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना पड़ा।

जेएनयूटीए अध्यक्ष प्रोफेसर मौसमी बासु ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कहा था कि वे प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर पर छोड़ देंगे, लेकिन पुलिस उन्हें बिना बताए दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास कापसहेड़ा पुलिस स्टेशन ले गई. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की आज की कार्रवाई भारतीय संविधान पर हमले की चिंताजनक घटना है।

वहीं प्रदर्शन में शामिल विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र अपने हाथों में विरोध नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे, जो केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, जिनकी मुख्य मांग थी कि देश में सभी को मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिया जाना चाहिए।

जंतर-मंतर पर आइसा से जुड़े हरीश गौतम ने कहा कि विरोध प्रदर्शन में डीयू, जेएनयू, जामिया समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र और शिक्षक शामिल हुए हैं. हम मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने मंडी हाउस से बाहर निकले प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और कहा की छात्रों को प्रदर्शन की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा की एक के बाद एक पेपर लीक हो रहे हैं और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, देश में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

हरीश गौतम ने बताया कि जंतर-मंतर के आसपास पुलिस तैनात कर दी गई. आज लोग पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते हैं लेकिन यह सरकार उन्हें पढ़ने-लिखने नहीं दे रही है। आज समाज बदलाव की मांग कर रहा है. ऐसे में अगर कोई समाज हित की बात करता है तो सरकार उसकी आवाज दबाना चाहती है. लेकिन ये प्रदर्शन सामूहिक और प्रतीकात्मक प्रदर्शन है. हमारी एकता हमारे संघर्ष का परिचय है।

प्रदर्शनकारी छात्र प्रणव ने कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हैं. वे आज यहां प्रदर्शन करने आये हैं. देशभर में आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन छात्र आज पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. गरीबों को शिक्षा नहीं दी जाती, शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए।