तस्लीम जहां के भाई ने पुलिस की कार्रवाई पर संदेह जताया और कहा कि पुलिस मामले की जांच को भटका रही है और असली आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
लोगो ने सवाल किया कि क्या कोलकाता की डॉ. मौमिता की तरह तस्लीम जहां देश की बेटी नहीं हैं? क्या मीडिया और राजनीतिक दलों में इसलिए चुप्पी है क्योंकि वह मुस्लिम हैं और यह घटना भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में हुई है?
नई दिल्ली(नया भारत 24 ब्यूरो)कोलकाता के एक अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना पर जहां देशभर में गुस्सा जताया जा रहा है और इसके विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर डॉक्टर देशव्यापी हड़ताल पर हैं, वहीं बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड में नर्स तस्लीम जहां के साथ दुष्कर्म और हत्या की भयावह घटना पर हर तरफ सन्नाटा पसरा है।जबकि तसलीम जहां भी कोलकाता की डॉक्टर मौमिता देवनाथ की तरह चिकित्सा पेशे से जुड़ी थी, उन्हें न्याय दिलाने के लिए कहीं से भी कोई आवाज नहीं उठ रही है।
तस्लीम जहां के भाई रफी अहमद ने उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन पर कड़े आरोप लगाए है, रफी अहमद ने मीडिया को बताया कि उनकी बहन उत्तराखंड के रुद्रपुर स्थित मोटेरा अस्पताल में काम करती थी,उसके लापता होने के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, पुलिस तसलीम जहां का पता लगाने के लिए कुछ नहीं कर रही थी, लेकिन जब उसके साथ बलात्कार किया गया और बेरहमी से हत्या कर दी गई, तो पुलिस ने एक नशेड़ी को पहले चोर के रूप में गिरफ्तार किया और फिर मामले को सुलझाने का दावा करते हुए उसे घटना के हत्यारे के रूप में पेश किया।
रफी ने पुलिस की जांच पर संदेह जताया और अपनी बहन के साथ हुए रेप और जघन्य हत्या में कई लोगों के शामिल होने की बात कही।उन्होंने कहा कि पुलिस जांच को भटका रही है और असली आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है क्योंकि तस्लीम जहां के साथ सिर्फ सामूहिक बलात्कार नही किया गया बल्कि इसके सर के बालों तक को काट दिया गया और उसके अंग भी शरीर से अलग कर दिये गये। उसकी पहचान मिटाने के लिए उसके चेहरे पर केमिकल डाला गया था।
रफी अहमद ने इसे सुनियोजित एवं संगठित सामूहिक बलात्कार एवं हत्या करार दिया और कहा कि इतना जघन्य कृत्य कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता है,रफी अहमद ने मोटेरा अस्पताल पर भी संदेह व्यक्त किया जहां उनकी बहन काम करती थी। उन्होंने कहा कि तस्लीम जहां के लापता होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उनसे कोई खैर खबर नहीं ली और तस्लीम जहां के बारे में उनके परिवार से संपर्क नहीं किया. तस्लीम जहां तलाकशुदा थी और उसकी 11 साल की बेटी है
रफी ने मांग की कि उसकी बहन के असली हत्यारों और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने शिकायत की कि इस मामले पर उन्हें किसी का सहयोग नहीं मिल रहा है, और मामले को निपटाने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच सोशल मीडिया पर भी सैकड़ों लोग तस्लीम जहां को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठा रहे हैं. ऐसे कई दक्षिणपंथी अकाउंट भी हैं जो तस्लीम जहां के सामूहिक बलात्कार और हत्या का जश्न मना रहे हैं। लोगों का सवाल है कि क्या कोलकाता की डॉ. मौमिता की तरह तस्लीम देश की बेटी नहीं हैं? क्या मीडिया और राजनीतिक दलों में इसलिए चुप्पी है क्योंकि वह मुस्लिम हैं और यह घटना भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में हुई है?
गौरतलब है कि तसलीम जहां 30 जुलाई को रुद्रपुर के मोटेरा अस्पताल में ड्यूटी के बाद घर नहीं लौटीं। उसकी बहन ने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. एक अगस्त को पुलिस ने तस्लीम जहां का शव उत्तर प्रदेश सीमा पर दबदबा गांव की झाड़ियों से बरामद किया था. पुलिस ने कथित आरोपी धर्मेंद्र को राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया. वह उत्तर प्रदेश के बरेली के मूल निवासी हैं। पुलिस का दावा है कि उसने अकेले ही वारदात को अंजाम दिया, लेकिन अब परिजन पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.