मैं किसी की भी गिरफ्तारी के लिए या बेल कैंसिल होने के लिए ज़िम्मेदार नहीं : उवेस सुल्तान खान

उवेस सुल्तान खान ने सोशल मीडिया पर सीएए और एनआरसी विरोधों और दिल्ली दंगों के लिए मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारी के संबंध में अपने ऊपर लगाए गए गंभीर आरोपों का खंडन किया।

नई दिल्ली(नया भारत डेस्क)उवेस सुल्तान खान ने मीडिया को बयान जारी करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से मेरे बारे में झूठी अफवाहें फैलाकर इल्ज़ाम लगाए जा रहे हैं। इससे पहले भी व्हिस्पर कैंपेन चलाया गया था। लेकिन इस बार सोशल मीडिया के जरिए ये बहुत ही प्लान और ऑर्गनाइज कैंपेन है। लेकिन अब यह सोशल मीडिया पर एक सुव्यवस्थित आईटी-सेल स्तर के प्रयास में बदल गया है। ये कहा जा रहा है कि मेरी वजह से कुछ मुस्लिम नौजवान जेल में हैं और उन्हें अदालत से बेल नहीं मिल रही है। मैं ये कहना चाहता हूं मेरे खिलाफ लगाए गए, ये सब इल्ज़ाम झूठे हैं। मैं किसी की भी गिरफ्तारी के लिए या बेल कैंसिल होने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूं।

जो लोग भी जेल गए हैं, उनकी अपनी अपनी वजह रहीं हैं जेल जाने की। मैं उसके लिए कसूरवार बिल्कुल नहीं हूं। मुझे गद्दार, दलाल, मुखबिर, अप्रूवर, एजेंट, सरकार का आदमी, पुलिस का आदमी और न जाने क्या क्या कहा जा रहा है। जो कि सरासर झूठ है। मेरी आज तक अदालत में कोई भी गवाही नहीं हुई हैं। जो बेल ऑर्डर की कॉपी में मेरे नाम को हाइलाइट करके फैलाया जा रहा है, उसे अगर कोई समझदार इंसान पढ़ेगा तो उसे मालूम होगा कि वो DPSG (Delhi Protest Support Group) व्हाट्सएप ग्रुप की चैट के कुछ मैसेज हैं जिन्हें मैंने दंगा होने से कुछ दिन पहले एक बहस के दौरान दंगा रोकने की कोशिश में लिखा था। और वो मेरा बयान नहीं है बल्कि व्हाट्सएप ग्रुप के मैसेज का हवाला है। मेरे अलावा भी इस तरह बहुत से लोगों के नाम और उनकी चैट का भी केस में हवाला है।

मैं ये साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि DPSG (Delhi Protest Support Group) व्हाट्सएप ग्रुप की चैट मैंने पुलिस या सरकार को नहीं दी है। नाही मैंने इस ग्रुप चैट का कोई स्क्रीनशॉट्स दिया है।

मैं CAA विरोधी हूं और मेरा मानना है कि शाहीन बाग से जो प्रोटेस्ट शुरू हुआ और दुनिया भर में जो फैल गया, वो देश का सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक आंदोलन है। इस आंदोलन ने संविधान के लिए एक तिरंगे के नीचे पूरे देश को एकजुट कर दिया। देश में नई ऊर्जा का संचार हुआ।

जब नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के जाफराबाद रोड के किनारे पर कुछ लोगों ने प्रोटेस्ट शुरू किया तब हम वहां पर रहने वालों ने कोशिश कि के किसी भी तरह रोडब्लॉक ना हों। क्योंकि हमारा इलाका शाहीन बाग से बिल्कुल अलग है। प्रोटेस्ट शांतिपूर्वक रोड के किनारे पर चलता रहे। ये इसलिए भी था कि हमारा इलाका सेंसिटिव है और रोडब्लॉक की वजह से पहले भी 1992, 2006 और दिसंबर 2019 में हिंसा हो चुकी है। इन सब हादसों में हमारे ही मासूम लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था। मैं नहीं चाहता था कि ऐसा दोबारा हो।

इसके लिए मैं ने जमीन पर भी और सोशल मीडिया पर भी बिना अपनी जान की परवाह किए डटकर मुकाबला किया, ताकि कुछ भी गलत होने ना दिया जाए। मेरी सिर्फ़ कोशिश ये थी कि मैं अपने लोगों को, अपने इलाके को, दंगे से बचा लूं। क्योंकि मुझे मालूम था कि दंगे से सिर्फ़ नुकसान होगा और इसकी भारी कीमत यहां के आम हिन्दू और मुसलमान को चुकानी होगी।

मेरा परिवार मेरी पैदाइश से बहुत पहले पुरानी दिल्ली के लाल कुआं में रहता था, वो लोग वहां से यमुना पार के न्यू सीलमपुर में लाल कुआं पर उस दौर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के कारण शिफ्ट हुए थे। 1992 में बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद दंगाइयों ने न्यू जाफराबाद में मेरा किंडरगार्डन स्कूल जला दिया था, मुझे आज भी वो डर याद है कि कैसे हमारे मोहल्ले की सारी औरतों और बच्चों को हमारे घर रखा गया था, और परिवार के बड़े और छोटे कई महीने तक रातों को जागते रहे। मुझे दिसंबर 2012 में आसाम के कोकराझार में हुए दंगों के पीड़ितों के ज़ख्म याद हैं, मुझे सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर हिंसा के पीड़ितों का दर्द याद है। मैं ने दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 2015 में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वहीं जाकर भीड़ का मुकाबला करके पीड़ितों के साथ खड़ा होना कुबूल किया है। मुझे मालूम है कि दंगा खत्म होने के बाद भी पीढ़ियों तक दंगे का दर्द चलता रहता है।

मैं समाज जो जोड़ने में, समुदायों के बीच आपसी विश्वास, सम्मान और संवाद में यकीन रखता हूं, अपने बुजुर्गों की तरह हिंदू मुस्लिम दोस्ती का पक्षधर हूं। इसलिए मैं इंसानियत को बचाने के लिए, समाज के रिश्तों को बचाए रखने के लिए, शांति और सद्भाव के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर हमेशा बड़ी ताकतों का मुकाबला करता आया हूं।

फरवरी 2020 में भी कुछ सरफिरों ने जिन्हें आज कुछ लोग हीरो बना रहे हैं, उन्होंने हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद हमारे इलाके को दंगे की आग में झोंक दिया गया। जिसके नतीजे में 58 बेकसूर लोगों की मौतें हुईं, 1500 से ज़्यादा आम हिन्दू-मुसलमान गिरफ्तार हुए, और आज भी मुकदमे झेल रहे हैं। और एक बार फिर इलाके के हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के दुश्मन बन गए। समाज को बुरी तरह से बांट दिया गया। और आज भी रिश्ते सुधरे नहीं हैं।

उस समय हमारे इलाक़े के लोगों में उन तमाम बाहरी लोगों और उनके साथियों के खिलाफ बहुत गुस्सा था जिन्होंने रोड ब्लॉक किया था और जिसकी वजह से हालात बिगड़े और सांप्रदायिक हिंसा हुई।

दिल्ली दंगों के कॉन्सपिरेसी केस में DPSG व्हाट्सएप ग्रुप का जिक्र बार बार आता है। उस ग्रुप में दंगा होने से कई दिन पहले मेरी पिंजरा तोड़ के सहयोगी अतहर से बहस हुई थी कि मैंने कहा था कि रोडब्लॉक होने से हिंसा हो सकती है और ये हम किसी क़ीमत पर होने नहीं देंगे। ये बहस इसलिए हुई थी कि जिस दिन सुबह शाहीन बाग के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई हुई थी उससे कुछ घंटों पहले आधी रात में 3 बजे के करीब पिंजरा तोड़ वाले और उनके सहयोगी चांद बाग में एक मीटिंग कर रहे थे, जहां मैं बिना बुलाए पहुंच गया था और उनके रोडब्लॉक करने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। और ये सब लगभग 500 अंजान इलाके के लोगों के सामने हुआ, जिन्होंने मेरी बात का समर्थन किया। इस मीटिंग के बारे में कुछ गवाहों ने जिन्हें मैं जानता भी नहीं हूं, ये बयान भी दिए हैं और बताया है कैसे मैंने रात में हादसा होने से रोका था। और इसी बारे में अतहर से व्हाट्सएप ग्रुप में बहस हुई थी। उस चैट को किसी के मोबाइल से कन्फिस्केट करके चार्जशीट में लगाया है।

दंगा शुरू होने से पहले भी मैं ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर मदद मांगी थी इस अनहोनी को रोकने के लिए पर ज़्यादातर लोगों ने उसे संजीदगी से नहीं लिया और तब भी सोशल मीडिया पर मेरे बारे में गलत लिखा था, पर कुछ ही घंटों बाद जब दंगा शुरू हो गया तब इन लोगों ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। पर तब से आज तक ये मेरे बारे में झूठी बातें हर जगह फैलाते रहते हैं। इन्हें दंगा होने का बिल्कुल भी दुख नहीं है, क्योंकि इस सबसे इनकी दुकानें चलती हैं।

इन्होंने कुछ जर्नलिस्टों को दावतें दे देकर मेरे बारे में अदालत में गवाही वाली बात फैलवाई। और अदालत में जब भी DPSG व्हाट्सएप ग्रुप की मैसेज की बात होती है तो इनके वकीलों के ज़रिए जानबूझकर मेरे नाम के साथ गवाह कहकर ये साबित करने की कोशिश होती है कि ये रिकॉर्ड पर आ जाए और आम जनता ये मान ले कि जैसे मेरी अदालत में गवाही हुई हो।

मेरा कैरेक्टर ऐसासिनेशन पिछले 5 सालों से दंगा समर्थकों द्वारा किया जा रहा है। और आम लोगों को जिन्हें मैं जानता भी नहीं हूं और साथ ही मेरे दोस्तों और परिचितों को मेरे बारे में झूठ बोला जा रहा है। और जो लोग इनकी झूठी बातों में नहीं आते हैं, उनसे भी ये लोग दुश्मनी कर लेते हैं। और इसका साफ़ सबूत सोशल मीडिया पर सामने आ रहा है कि कैसे मुस्लिम समुदाय के सम्मानित व्यक्तियों और देश के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा हिंद को मेरे साथ ताल्लुक रखने के लिए निहायत ही घटिया दर्जे पर बदनाम किया जा रहा है। जो भी मेरे साथ खड़ा होगा, उस पर हमला किया जाएगा।

मैं जानता हूं इन सबके पीछे कौन है। इस तरह से ऑर्गेनाइज्ड हमले से एक उन्मादी भीड़ को मेरे ख़िलाफ़ खड़ा किया गया है जो मुझे शायद शारीरिक तौर पर भी इनके बहकावे में आकर नुकसान पहुंचा सकती है। पर मैं उनसे ये कहना चाहूंगा कि मैं उनसे डरने वाला नहीं हूं। भले ही पर्दे के पीछे से वो अपने नौकरों के जरिए काम करें, उनका दिल जानता है कि सच क्या है। और इसी तरह मैं समझता हूं कि उनका मेरे खिलाफ ये हमला कभी रुकने वाला नहीं है। आज, कल, परसो, आने वाले दिनों में, हफ्तों में, महीनों और सालों में, वो कुछ नई झूठी बातें ज़रूर फैलाएंगे। और विक्टिम्स की फैमिली को मोहरे के तौर जैसे अब इस्तेमाल कर रहे हैं आगे भी करते रहेंगे।

खालिद सैफी, उमर, शरजील, अतहर, ग़ुल्फ़िशा, शादाब, तस्लीम के परिवारों और दूसरे लोगों के परिवारों की तकलीफ में समझ सकता हूं। कोई भी इंसान सही हो या गलत हो उसका परिवार उससे दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाता है। मैं सब परिवारों से कहना चाहता हूं कि मेरी वजह से आपके प्यारे जेल में नहीं हैं, नाही मेरी वजह से उनकी बेल खारिज हो रही है। आपके परिवार के लोग जिन लोगों की वजह से जेल गए हैं, वो आज भी आपको और आपके प्यारों को मोहरा बनाकर अपना कारोबार चला रहे हैं। आपको उनसे होशियार होने की जरूरत है। आप जिन्हें अपना समझ रहे हैं, वही असल में आपके दुश्मन हैं।

आप लोगों को समझने की ज़रूरत है कि मैं दंगे का विरोधी हूं चाहे आप पसंद करें या ना करें। लेकिन आपसे जो लोग झूठी बातें लिखवा रहे हैं वो तो दंगे के समर्थन में थे, वो गिरफ्तार होने से कैसे बचे। वो किसके आदमी है? उन्हें किसने बचा लिया?

आपको समझना चाहिए कि मेरा खुल्लम खुल्ला सबसे ज्यादा विरोध पिंजरा तोड़ के ख़िलाफ़ रहा, और अगर मैं सरकार का या पुलिस का आदमी हूं तो पिंजरा तोड़ के टॉप लीडर्स को सालों पहले इसी केस में ज़मानत कैसे मिल गई। अपनी आँखें खोलिए और जो लोग आप सबको इस्तेमाल कर रहे हैं अपने निजी स्वार्थों के लिए, उनसे सवाल करने शुरू कीजिए।

आखिर में मैं ये कहना चाहता हूं कि ये केस अदालत में चल रहा है, इसलिए आज तक जो भी अफवाहें फैलाई गई उनका कभी जवाब नहीं दिया। पर दंगा समर्थकों की तरफ से जिस खतरनाक और घटिया लेवल पर ऑर्गेनाइज्ड कैंपेन चल रहा है, उसके नतीजे में मैंने ज़रूरी समझा कि मैं अपना पक्ष आपके सामने लाऊं। जो कुछ भी मैं दंगा रोकने के लिए कर सकता था वो मैंने किया। और आइंदा कभी भी अदालत मुझे इस केस में मेरे दंगा विरोध करने के कारण के बारे में पूछने के लिए बुलाएगी तो मैं ज़रूर जाऊंगा।