आठवें नेशनल अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन के विजेताओं के लिए सम्मान समारोह

सामाजिक संस्थाओ के मिलकर काम करने में ही देश और समाज की जल्द प्रगति होगी :फारूक सिद्दीकी

नई दिल्ली/लखनऊ(नया भारत 24 डेस्क)एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स (एएमपी) के उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा होटल आरिफ कैसल में चौथे नेशनल अवार्ड्स फॉर सोशल एक्सीलेंस और आठवें नेशनल अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन के उत्तर प्रदेश से संबंधित विजेताओं के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के विशेष अतिथि अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन डॉ. वलीउल्लाह सिद्दीकी और गौतम बुद्ध नगर के मिर्जा मुबीन बेग थे। प्रमुख अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद् और करियर काउंसलर डॉ. अमृता दास को उपस्थित होना था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वे उपस्थित नहीं हो सकीं, इसलिए उनके स्थान पर पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह ज़हरा चटर्जी ने भूमिका निभाई।

कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना मुहम्मद रेहान कासमी द्वारा कुरान की तिलावत से हुई। स्वागत भाषण एएमपी के मध्य क्षेत्र के ज़ोनल हेड सैयद शुएब ने दिया। एएमपी की राज्य प्रमुख शाहीन इस्लाम ने एएमपी के उद्देश्यों और गतिविधियों से श्रोताओं को अवगत कराते हुए बताया कि इस गैर-सरकारी, गैर-राजनीतिक और गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना 2007 में की गई थी। इतने वर्षों में यह संगठन शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक कार्यों में संलग्न है, जिसका उद्देश्य कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना है।

अतिथि मिर्जा मुबीन बेग ने बताया कि गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करना दिन-ब-दिन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, और केवल वही संगठन सफल हो सकते हैं जो निस्वार्थ भावना और ईमानदारी से सेवा कर रहे हैं। उन्होंने सभी गंभीर एनजीओ को आपस में जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि सभी एक-दूसरे के अनुभवों से लाभान्वित हो सकें।

डॉ. वलीउल्लाह सिद्दीकी ने शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के लिए पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि बच्चों की शिक्षा और परवरिश की जिम्मेदारी उनके माता-पिता और शिक्षकों पर होती है। इस बदलते समय में उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सोच उच्च हो और उनमें संघर्ष का जज़्बा हमेशा बना रहे। उन्होंने इस अवसर पर अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाने में कैसे एक केंद्रीय भूमिका निभाई।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ज़हरा चटर्जी ने एएमपी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि देश के निर्माण और विकास में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी आवश्यक है। इसलिए हमें अंतिम व्यक्ति तक पहुँचकर उसकी शैक्षिक जागरूकता और आर्थिक स्थिरता के लिए प्रयास करना होगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष फारूक सिद्दीकी, एएमपी के नेशनल कोऑर्डिनेशन टीम के प्रमुख, ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इन पुरस्कारों का उद्देश्य उन व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करना है जो अपनी निस्वार्थ सेवाओं से देश और समाज का चेहरा बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सामूहिकता के लाभों पर प्रकाश डाला और इसे बढ़ावा देने पर जोर दिया, यह कहते हुए कि सामूहिकता और पारस्परिक सहयोग से ही देश और समाज की भलाई संभव है।

धन्यवाद ज्ञापन एएमपी लखनऊ के चैप्टर प्रमुख मोहम्मद मोहिउद्दीन ने दिया, और कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुम्बुल शकील ने किया।

नेशनल अवार्ड्स फॉर सोशल एक्सीलेंस के पुरस्कार विजेताओं में बेस्ट एनजीओ के लिए तौहीदुल मुसलमीन ट्रस्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल हार्मनी एंड अपलिफ्टमेंट शामिल थे। चेंज मेकर अवार्ड प्राप्त करने वालों में लखनऊ से प्रोफेसर डॉ. नुज़हत हुसैन, डॉ. मोहम्मद मुबाशिर, सिबिहा अहमद, बलबीर सिंह मान, कानपुर से डॉ. कलीम अहमद खान, डॉ. सबा यूनुस, शाहिद कामरान खान, बलरामपुर से सगीर खाकसार, अलीगढ़ से डॉ. सलीम मोहम्मद खान और नसीम अहमद खान, अयोध्या से रमेश चंद्र श्रीवास्तव आदि शामिल थे।

नेशनल अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन के विजेताओं में अलीगढ़ से प्रोफेसर मिर्जा मोहम्मद सुफियान बेग, प्रोफेसर नसीम अहमद खान, औसाफ़ अज़ीम किरमानी, कानपुर से मोहम्मद शाहिद खान, डॉ. मोहम्मद शमीम, समीउल्लाह अंसारी, चित्रा महेश्वरी, लखनऊ से डॉ. रूही, मौलाना मोहम्मद रेहान कासमी शामिल थे। लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड विजेताओं में लखनऊ की वरिष्ठ शिक्षिका शीला लॉरेंस और कानपुर के जमालुद्दीन खान थे।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे, जिनमें डॉ. अनीस अंसारी (पूर्व आईएएस), मोहम्मद खालिद अशु, मुजतबा खान, नज्म-उल-हसन रिजवी नजमी, डॉ. उज़्मा मुबाशिर, सैयद अबरार, रिजवान अंसारी, मोहम्मद ज़ीशान, मोहम्मद इमरान, जावेद अकबर खान लोधी, शहंशाह अंसारी, फहद महमूद, आयशा महमूद, इल्मा सिद्दीकी, आयशा अल्वी, ज़हीर बेग, और आकिब रऊफ आदि शामिल थे।